Article by Prateek HIra on Village Tourism in Uttar Pradesh – Nav Bharat Times
ईको, विलेज और हेल्थ टूरिज़्म के हब बनने की ओर उत्तर प्रदेश के बढ़ते कदम
आधुनिक परिवेश में कनेक्टिविटी बढ़ने के साथ जहां दुनिया सिमटती जा रही है। आज हर देश, हर प्रदेश विश्व को अपनी ओर खींचने को आतुर है। समय के साथ में पर्यटन नीतियों में भी नई तब्दीलियाँ देखने को मिल रही हैं। असीम संभावनाओं के चलते उत्तर प्रदेश में भी ईको टूरिज़्म, विलेज टूरिज़्म और हेल्थ टूरिज़्म के विकास को भी प्रमुखता दी जा रही है। प्राचीन समृद्ध विरासत, रीति रिवाजों से परिपूर्ण प्रकृति की गोद में बसा हरा भरा उत्तर प्रदेश जिसके आकर्षण से पूरा विश्व आज खिंचा चला आ रहा है। उत्तर प्रदेश के 16,620 वर्ग किलोमीटर वन क्षेत्र में सुंदर परिदृश्य, सुदूर वन्य क्षेत्र, वन्य जीवन, अविरल नदियों और प्रकृतिक वनस्पतियों के मनमोहक दृश्य देखने को मिलते हैं। पर्यटन के क्षेत्र में उत्तर प्रदेश नित नए कीर्तिमान रच रहा है। साल 2019 में जहां 54 करोड़ से अधिक पर्यटक उत्तर प्रदेश आए। वहीं 47 लाख से अधिक विदेशी पर्यटकों ने यूपी की सैर की है। विदेशी सैलानियों को लुभाने के मामले में उत्तर प्रदेश का पूरे देश में तीसरा स्थान रहा। देसी सैलानियों को लुभाने में हम देश भर में प्रथम रहे हैं। आधुनिक परिवेश में युवाओं को ध्यान मे रखते हुए सरकार ने अपनी रहस्य और रोमांच से भरी पर्यटन यात्राओं पर खासा ज़ोर दिया है। युवाओं के बीच लोकप्रिय पर्यटन गतिविधियों और स्थलों को चिन्हित कर उन स्थलों पर पर्यटन सुविधाओं मे बढ़ोत्तरी की जा रही है।
हम देखते हैं कि आज कल की युवा पीढ़ियों में ‘’विलेज टूरिज्म’’ का बड़ा क्रेज़ है। ‘मुख्यमंत्री पर्यटन संवर्धन योजना’ से सरकार ने उत्तर प्रदेश में ‘विलेज टूरिज्म’ को बढ़ावा देने की योजना तैयार की है। बड़े पैमाने पर यूपी के गांवों की झलक देखने अब पर्यटक गांवों का रुख कर रहे हैं। ‘विलेज टूरिज्म’ गांवों में कुछ पल बिताने और वहाँ की स्थानीय खूबसूरती-विशेषताओं का आनन्द उठाने का एक अवसर है। कम खर्च में ग्रामीण पर्यटन का आनन्द, गांव के लोगों के साथ आत्मीयता बढ़ाना उनके सुख दुख मे शामिल होना, गांव के खेत-खलिहान, हल-बैल, बैल गाड़ी, कुएं से पानी खींचना और दुर्लभ लुप्तप्राय पक्षियों की चहचहाहटों को सुनना। इन्हीं खूबसूरत पलों को जीने, शांति और सुकून की खोज में पर्यटक यूपी के गांव की सैर करने पहुंच रहे हैं। हमें इन्हीं अवसरों का लाभ उठाना है। सरकार का लक्ष्य ग्राम स्वावलंबन के जरिये प्रदेश के गांवों को एक बड़े आर्थिक शक्ति के केंद्र के रूप में प्रतिस्थापित करना है।
’विलेज टूरिज्म’ के साथ योगी सरकार का ध्यान प्रदेश में ईको-टूरिज्म को बढ़ाने की ओर भी है। सरकार प्रदेश में एक जिला एक गंतव्य (वन डिस्ट्रिक्ट वन डेस्टिनेशन) के आधार पर भी ईको टूरिज्म को विकसित करने जा रही है। वन्यजीव विहार के साथ जैव विविधता वाले स्थलों इन स्थलों में मूलभूत सुविधाएं मुहैया कराएगी जाएंगी। सरकार की पूरी कोशिश है कि सूबे में ईको टूरिज्म और रोजगार बढ़े। स्थानीय लोगों की आमदनी के साथ-साथ पर्यावरण संरक्षण कार्य भी सतत चलता रहे। सोनभद्र के हरे भरे जंगल, झरने, पहाड़ और मनोरम किले पर्यटकों को हमेशा से अपनी ओर खींचते रहे हैं। सोनभद्र की कैमूर वाइल्डलाइफ सैंक्चुरी, साल्खन जीवाश्म पार्क, विजयगढ़ किला, अगोरी फोर्ट, मुक्खा वॉटरफाल जैसे स्थलों के साथ रॉक पेंटिंग जल्द ही विश्व के पर्यटन मानचित्र पर अपनी सशक्त उपस्थिति दर्ज कराएगी। सोनभद्र में फिल्म टूरिज्म को बढ़ावा देना हो या ईको-टूरिज्म के रूप में क्षेत्र को विकसित करने की योजना पर तेजी से कार्य किया जा रहा है। सोनभद्र में टूरिस्ट बंगला, बॉयो टॉयलेट समेत कई योजनाओं पर काम किया जा रहा है, जिससे पर्यटक सोनांचल की प्राचीन हस्तकला, किलों, प्रकृति और व्यंजनों का आनंद ले सकेंगे। साथ ही प्रदेश के अन्य स्थलों जैसे दुधवा नेशनल पार्क, कतरनियाघाट वाइल्ड लाइफ सेंचुरी, समसपुर अभ्यारण्य, सुरहा ताल अभ्यारण्य, लाख बहोसी, सांडी पक्षी विहार, चंबल सेंचुरी, नवाबगंज पक्षी विहार, हस्तिनापुर, सुर सरोवर सेंचुरी एवं सूरजपुर बर्ड सेंचुरी में बर्ड फेस्टिवल कराने की कार्ययोजना बनाई जा रही है। इसके अतिरिक्त प्रदेश के सभी 26 पक्षी विहार तथा 300 से अधिक बड़े वेटलैण्ड को भी ईको टूरिज्म के लिए चिन्हित किया गया है।
चन्दौली के चन्द्रप्रभा वन्यजीव अभ्यारण्य में स्थित राजदरी एवं देवदरी जल प्रपात स्थल पर रू0 499.02 लाख, तथा पीलीभीत में चूका में टाइगर रिजर्व रू0 362.06 लाख की लागत के ईको-टूरिज्म के विकास कार्य स्वीकृत किए गए हैं। गोरखपुर में देश के तीसरे व प्रदेश के सबसे खूबसूरत चिड़ियाघर का निर्माण हो रहा है। कुसम्ही जंगल व बुढ़िया माता मंदिर की पहचान भी ईको-टूरिज्म से है। महराजगंज का सोहगीबरवा, लहरादेवी स्थान व उसके आसपास के क्षेत्र को भी ईको-टूरिज्म का प्रमुख केंद्र बनाए जाने की योजना है। बहराइच की ऐतिहासिक चित्तौरा झील का विकास के साथ हापुड़ में गढ़मुक्तेश्वर क्षेत्र, आगरा में कछपुरा- मेहताब बाग का सौंदर्यीकरण कार्य, गोरखपुर स्थित रामगढ़ ताल में वाटर स्पोर्ट्स के विकास कार्यों को तीव्र गति से आगे बढ़ाया जा रहा है।
इन पर्यटक स्थलों से आज की युवा पीढ़ी डिजिटल माध्यम से भी जुड़ सके सरकार इस ओर भी कार्य कर रही है। मेक माई ट्रिप, गो आइबीबो जैसी साइटों की तर्ज पर प्रदेश सरकार, वन और पर्यटन विभाग के सहयोग से पर्यटकों को आकर्षक हॉलीडे पैकेज उपलब्ध कराने की व्यवस्था करने जा रही है। टूरिस्टों के लिए इस पैकेज में वन क्षेत्रों के अलावा यूपी के सभी प्रसिद्ध पर्यटन स्थलों को भी शामिल किया जाएगा। इन पैकेजों के जरिए राज्य सरकार उन जगहों को बढ़ावा देगी, जिनमें टूरिस्ट डेस्टीनेशन बनने की पोटेंशियल तो है, मगर पिछली सरकारों की उपेक्षा के कारण अभी तक ये पर्यटकों की नजर से दूर रहे हैं। इन पैकेजों में पर्यटकों के लिए रहने, खाने और उनके घूमने के लिए गाड़ी की सुविधाएं भी प्रदान की जाएंगी। इन पर्यटन क्षेत्रों के ऐतिहासिक, पौराणिक महत्व बताने के लिए प्रशिक्षित गाइडों की सुविधा भी सरकार मुहैया कराएगी। होटल, गाइड, फूड मार्ट, कैब आदि सुविधाओं से स्थानीय लोगों के लिए अर्थोपार्जन के अवसर भी बढ़ेंगे। सरकार द्वारा यूपी ईको टूरिज़म मोबाइल ऐप, वैबसाइट भी लांच किया है। पर्यटक सीधे वैबसाइट और ऐप के माध्यम से अपने मनपसंद जगहों पर टूरिस्ट बंगले, कॉटेज, लक्जरी टेंट आदि की बुकिंग कर सकते हैं।
पर्यटकों को सुरक्षा के साथ उन्हें पर्यटन स्थलों की पूरी जानकारी मिल सके इसका भी खास ख्याल रखा जा रहा है। इसके लिए सरकार ने पर्यटन पुलिस की शुरुआत की है। जिसमें 130 पर्यटन पुलिस बल को बढ़ाकर 500 किए जाने के साथ-साथ उसमें 200 महिला सुरक्षा कर्मी की नियुक्ति का भी प्राविधान किया गया है। ये पुलिस न केवल देशी-विदेशी पर्यटकों की सुरक्षा की चिंता करेगी, साथ ही उनके घूमने, ठहरने आदि के बारे में भी पूरी जानकारी उन्हें उपलब्ध कराएगी।
मजबूत सरकार और निर्णायक नेतृत्व के चलते पिछले कुछ वर्षों में भारत के प्रति पूरे विश्व के लोगों का नज़रिया बदला है। आज पूरा विश्व आज आयुर्वेद, योग और नेचुरोपैथी जैसी भारतीय चिकित्सा पद्धतियों की ओर आशा भरी निगाहों से देख रहा है। कोविड काल के अनुभवों ने पूरी दुनिया को प्राचीन भारतीय ऋषि परंपरा की देन इन चिकित्सा विधियों को वैश्विक स्वीकार्यता दी है। इस लिहाज से सरकार उत्तर प्रदेश को दुनिया के लिए एक नए हेल्थ टूरिज्म डेस्टिनेशन के रूप में विकसित करने की योजना पर कार्य कर रही है। हेल्थ टूरिज्म के चलते योग, नेचरोपैथी, आयुर्वेद के क्षेत्र में कार्य कर रहे डॉक्टरों, योग प्रशिक्षकों, दवा कंपनियों, हेल्थ वर्करों की भारी मांग होंगी। इन सब प्रयासों से रोजगार बढ़ने के साथ लोक कल्याण में भी अभिवृद्धि होगी।
पर्यटन क्षेत्रों के स्थानीय निवासियों के आर्थिक और सामाजिक स्तर के उन्नयन तथा रोजगार के अधिक से अधिक अवसर उपलब्ध कराने हेतु विभिन्न प्रकार की गतिविधियां भी चलाई जा रही हैं, जिसके अंतर्गत विभिन्न मेले, प्रदर्शनी, स्टॉल आदि के माध्यम से स्थानीय हस्तकला, शिल्पकला, काष्ठकला अर्थोपार्जन के साथ पूरी दुनिया को लुभा रहीं हैं, और बड़ी संख्या में पर्यटकों को भी अपनी ओर आकर्षित भी कर रही हैं।